Last Updated on 6 July 2024 by nidariablog.com
शेयर बाज़ार से पैसा कैसे कमाएं? दोस्तो, आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि शेयर बाज़ार सेआप किस तरह सबसे आसान तरीके से ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमा सकते हैं और शेयर मार्केट में निवेश करते वक़्त आपको किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना चाहिये ताकि आप अपनी मेहनत की कमाई/जमा पूंजी की मदद से शेयर बाज़ार से अधिक से अधिक लाभ/पैसा कमा पाएं। महंगाई के इस दौर में बिना किसी अतिरिक्त आय के अपने खर्चों को पूरा कर पाना आसान काम नहीं है। इसीलिए अधिक से अधिक लोग पैसा कमाने के विकल्प तरीकों के बारे में जानने की कोशिश में लगे रहते हैं। अधिकांश लोग शेयर बाज़ार से अल्प समय में अधिक से अधिक पैसा कमाने की आशा में अपने गाढ़े पसीने की कमाई को गवां बैठते हैं क्योंकि उन्हें यह नहीं पता रहता कि शेयर बाज़ार में निवेश करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना होता है। तो किसी भी कंपनी के शेयर खरीदते वक़्त आपको नीचे लिखी बातों का जानना बहुत जरूरी है:-
1. निवेश के प्रकार
मोटे तौर पर, शेयर बाज़ार में आप दो तरह से निवेश कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1.1. दीर्घकालिक (लम्बी अवधि) निवेश
यह निवेश का एक सुरक्षित तरीका है जहां आप लंबे समय तक के लिए किसी कंपनी को शेयर को खरीदते हैं। इस प्रकार के निवेश में बाजार के उतार-चढ़ाव से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और आप कंपनी के विकास के साथ अपने निवेश को बढ़ा सकते हैं।
1.2. अल्पकालिक (छोटी अवधि) निवेश
यह निवेश उन निवेशकों के लिए है जो कम समय में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं। इसमें बाजार के छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव पर ध्यान देना पड़ता है और तेजी से निर्णय लेने की क्षमता की आवश्यकता होती है।
यदि आपको शेयर बाज़ार की पर्याप्त जानकारी नहीं है तो आपको कुछ अच्छी कंपनी के शेयरों में थोड़ी लंबी अवधि के लिए निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए। हो सकता है, आपको कम अवधि में ही मुनाफा मिलने लगे तो ऐसी स्थिति में आप मुनाफावसूली समय से पहले ही कर सकते हैं।
2. सही शेयरों का चयन कैसे करें?
शेयर बाज़ार से पैसा कमाने में सबसे अहम् भूमिका होती है सही शेयरों का चयन करना। इसके लिए कुछ वित्तीय आंकड़ों को देखना बहुत महत्त्वपूर्ण है जो निम्नलिखित हैं:
2.1 PE Ratio (Price to Earnings Ratio)
PE Ratio एक महत्वपूर्ण वित्तीय मापदंड है जो कंपनी के शेयर की कीमत को उसकी प्रति शेयर कमाई (Earnings Per Share) से विभाजित करके निकाला जाता है। यह निवेशकों को यह समझने में मदद करता है कि एक शेयर की कीमत प्रति शेयर होने वाली कमाई की तुलना में महंगी है या सस्ती। PE Ratio की गणना का फॉर्मूला इस प्रकार है:
PE Ratio = Current Share Price/Earnings Per Share (EPS)
उदाहरण: यदि किसी कंपनी का शेयर मूल्य ₹100 है और EPS ₹10 है, तो PE Ratio 10 होगा। इसका मतलब है कि निवेशकों को कंपनी की एक रुपया कमाई के लिए ₹10 का भुगतान करना होगा। यदि किसी अच्छी कंपनी का शेयर अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम PE Ratio के साथ ट्रेड कर रहा है तो ऐसे शेयर को खरीदने की सलाह दी जाती है।
2.2 PB Ratio (Price to Book Ratio)
PB Ratio (Price to Book Ratio) कंपनी के शेयर मूल्य और उसकी बुक वैल्यू (Book Value) के बीच का अनुपात होता है। यह निवेशकों को यह जानने में मदद करता है कि किसी कंपनी के शेयर की कीमत उसकी नेट एसेट वैल्यू के मुकाबले कितनी है। PB Ratio की गणना का फॉर्मूला इस प्रकार है:
PB Ratio = Market Price per Share/Book Value per Share
उदाहरण: यदि किसी कंपनी के शेयर का बाज़ार में मूल्य ₹150 है और उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू ₹50 है, तो PB Ratio 3 होगा। इसका मतलब है कि शेयर की कीमत उसकी बुक वैल्यू से तीन गुना है। यदि एक अच्छी कंपनी के शेयर की PB Ratioअपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम है तो ऐसे शेयर को खरीदने की सलाह दी जाती है।
2.3 EPS (Earnings Per Share)
EPS (Earnings Per Share) एक महत्वपूर्ण वित्तीय मापदंड है जो कंपनी की कुल शुद्ध आय को उसके कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों से विभाजित करके निकाला जाता है। यह मापदंड बताता है कि कंपनी प्रति शेयर कितना पैसा कमा रही है। EPS की गणना का फॉर्मूला इस प्रकार है:
EPS = Net Income/Number of Outstanding Shares
उदाहरण: यदि किसी कंपनी की शुद्ध आय ₹10,00,000 है और उसके कुल 1,00,000 आउटस्टैंडिंग शेयर हैं, तो EPS ₹10 होगा। यदि किसी कंपनी के शेयर अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में ज़्यादा EPS के साथ ट्रेड कर रहें है तो ऐसे शेयर को खरीदने की सलाह दी जाती है।
2.4 Beta Value of Share
Beta Value किसी शेयर की अस्थिरता को मापता है और यह बताता है कि शेयर बाजार के मुकाबले कितना संवेदनशील है। Beta की गणना का फॉर्मूला इस प्रकार है:-
Beta = Covariance between stock and market returns/Variance of market returns
अगर किसी कंपनी के शेयर की Beta Value ‘1’ से ज्यादा है, तो ऐसा शेयर, बाजार से ज्यादा अस्थिर होता है यानि सेंसेक्स की तुलना में ज्यादा ऊपर-नीचे होता है और उसमें जोखिम अधिक रहता है। अगर Beta Value ‘1’ से कम है, तो ऐसा शेयर सेंसेक्स की तुलना में कम अस्थिर होता है।
2.5 Debt to Equity Ratio
Debt to Equity Ratio कंपनी के कुल ऋण को उसकी कुल इक्विटी से विभाजित करके निकाला जाता है। यह मापदंड कंपनी की वित्तीय स्थिरता और उसके द्वारा लिए गए ऋण की तुलना में इक्विटी की स्थिति को दर्शाता है। Debt to Equity Ratio की गणना का फॉर्मूला इस प्रकार है:-
Debt to Equity Ratio = Total Debt/Total Equity
उदाहरण: यदि किसी कंपनी का कुल ऋण ₹50,00,000 है और कुल इक्विटी ₹1,00,00,000 है, तो Debt to Equity Ratio 0.5 होगा। यदि एक अच्छी कंपनी की Debt to Equity Ratio ‘1’ से कम है, तो ऐसी कंपनी में निवेश करना अन्य कम्पनियों (जहां Debt to Equity Ratio ‘1’ से अधिक है) की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।
2.6 Shareholding Pattern
Shareholding Pattern से तात्पर्य किसी कंपनी के शेयरधारकों की संरचना से है, जिसमें प्रमोटर, संस्थागत निवेशक, और खुदरा निवेशक शामिल होते हैं। यह पैटर्न यह बताता है कि कंपनी में कौन कितने प्रतिशत का मालिक है और प्रमोटरों की हिस्सेदारी कितनी है। यदि किसी कंपनी के शेयरों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 50% से अधिक होने के साथ-साथ संस्थागत निवेशकों (विदेशी और घरेलू) का भी अच्छा खासा निवेश रहता है तो ऐसी कंपनी के शेयरों में निवेश करना अच्छा माना जाता है।
2.7 Pledging of Shares
Pledging of Shares एक प्रक्रिया है जिसमें प्रमोटर या शेयरहोल्डर अपनी हिस्सेदारी को उधार लेने के लिए गिरवी रखते हैं। यह आमतौर पर फंड्स जुटाने के लिए किया जाता है। शेयरों का गिरवी रखना निवेशकों के लिए चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि यह प्रमोटरों की वित्तीय स्थिरता पर सवाल खड़ा करता है। इसलिए,ऐसी कंपनी में निवेश से बचें, जहां प्रमोटरों ने ऋण/उधार लेने के लिए अपने शेयरों को गिरवी रखा हुआ है।
3. कंपनी की बैलेंस शीट, आय विवरण और नकदी प्रवाह का अध्ययन करें।
यदि आप किसी कंपनी के वित्तीय विवरणों (बैलेंस शीट, लाभ-हानि खाता) को समझने की थोड़ी बहुत जानकारी रखते हैं तो यह आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है क्योंकि तब आप कंपनी की वास्तविक वित्तीय स्थिति का सही अंदाज़ा लगा पाएंगे। आपको किसी भी कंपनी के शेयरों में तभी निवेश करना चाहिए जब आप आश्वस्त हों कि कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत है।
4. कंपनी का प्रबंधन चैक करें।
कंपनी के प्रबंधन की क्षमता और उनके भविष्य की योजनाओं को समझें। एक अच्छा प्रबंधन कंपनी को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5. कंपनी के उद्योग की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
कंपनी जिस उद्योग में काम कर रही है उसकी स्थिति को भी समझें। उद्योग में विकास की संभावनाएं और प्रतिस्पर्धा का स्तर जांचें। जैसे हाल में डिफेंस, सेमीकंडक्टर, अक्षय या नवीनीकरण ऊर्जा, सोलर ऊर्जा, सड़क, परिवहन एवं रेलवे और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सैक्टर्स अच्छा रिटर्न दे रहे हैं।
6. जोखिम प्रबंधन के लिए कदम उठाएं।
शेयर बाजार में निवेश के साथ जोखिम भी आता है। इसलिए, जोखिम प्रबंधन के लिए निम्नलिखित रणनीतियों का पालन करें:
6.1. विविधीकरण का तरीका अपनाएं।
अपना सारा पैसा किसी भी एक कंपनी के शेयर्स में ना लगाकर अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न क्षेत्रों और कंपनियों के शेयर शामिल करें। इससे किसी एक शेयर के गिरने पर आपके कुल निवेश पर असर कम होगा।
6.2. स्टॉप-लॉस का उपयोग करें।
शेयर की कीमत एक निश्चित स्तर से नीचे जाने पर उसे बेचने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करें। इससे आप बड़े नुकसान से बच सकते हैं।
6.3. अपने पोर्टफोलियो/निवेश की नियमित समीक्षा करें।
अपने पोर्ट्फोलिओ/निवेश की नियमित समीक्षा करें और बाजार की स्थितियों के अनुसार उसमें आवश्यक बदलाव करें। हो सकता है सरकारी नीतियों में बदलाव या किन्हीं अन्य कारणों की वजह से किसी एक सैक्टर में लगातार गिरावट के आसार बन रहे हों तो ऐसे में आप उस सैक्टर के शेयर्स को बेचकर किसी ऐसे सैक्टर के शेयर खरीद सकते हैं जो आगे बढ़ रहा हो। इससे आप बदलते बाजार में सही निर्णय ले सकेंगे।
7. कंपनी के बारे में जानकारी कहां से प्राप्त करें।
शेयर बाजार में सफल होने के लिए आपको नियमित रूप से जानकारी एकत्र करनी होगी। इसके लिए आप आर्थिक समाचार पत्र और पत्रिकाएं पढ़ें जो आपको बाजार की ताज़ा जानकारी देंगी। वित्तीय वेबसाइट्स और पोर्टल्स पर जाकर नवीनतम समाचार और विश्लेषण पढ़ें। साथ ही, विभिन्न वित्तीय संस्थानों और ब्रोकरेज हाउस द्वारा जारी की गई विश्लेषक रिपोर्ट को पढ़ें।
8. निष्कर्ष
ऊपर बताई गई बातों में से जितनी ज़्यादा बातों को आप शेयर खरीदते वक़्त ध्यान में रख सकेंगे, शेयर बाज़ार से आप अपनी सफलता की संभावना को उतना ही ज़्यादा मजबूत कर पाएंगे। कृपया ध्यान रखें कि ऊपर बताई बातों में से किसी एक बात के आधार पर शेयर का चयन नहीं किया जाना चाहिए अपितु आप जितनी अधिक बातों का ध्यान रखेंगे, आपकी लाभ कमाने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
शेयर बाजार में निवेश करना एक लाभदायक विकल्प हो सकता है, लेकिन इसके लिए सही जानकारी और रणनीति की आवश्यकता होती है। कंपनी की वित्तीय स्थिति, प्रबंधन और उद्योग की स्थिति को ध्यान में रखकर निवेश करें। जोखिम प्रबंधन के लिए विविधीकरण और स्टॉप-लॉस का उपयोग करें। नियमित रूप से अपने निवेश की समीक्षा करें और नवीनतम जानकारी के लिए विभिन्न स्रोतों का उपयोग करें।
इस गाइड का पालन करके आप शेयर बाजार से पैसे कमाने की दिशा में एक सही कदम उठा सकते हैं। Happy Investing!
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